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हिमालय लिव 52 के लाभ एवं औषधीय मात्रा

लिव 52 (Himalaya Liv 52) यकृत रोग (liver disorders) में लाभकारी औषधि है। यह यकृत की क्रिया को सुधारने वाली औषधि है। इसमें कुछ क्षुधा वर्धक जड़ी बूटियाँ मिली हुई हैं जो पाचन और भूख में सुधार करने में मदद करती हैं। यह यकृत के लगभग सभी प्रकार के विषाक्त पदार्थों के खिलाफ रक्षात्मक कार्रवाई करती हैं और शराब पीने वाले लोगों के यकृत की रक्षा करती है।

हिमालय लिव 52 दुनिया में इकलौता हर्बल उत्पाद है जिस पर सैकड़ों शोध अध्ययन और परीक्षण आयोजित किए गए हैं। लगभग सभी अध्ययनों में इसे यह प्रभावी हेपेटो-प्रोटेक्टिव (यकृत की रक्षा करने वाली औषधि) और यकृत कार्यों में सुधार के लिए फायदेमंद पाया गया है।

Contents

घटक द्रव्य (Ingredients)

यहाँ लिव 52 के कुछ मुख्य घटकों की सूची दी जा रही है:

  1. कासनी
  2. मंडूर भस्म
  3. काकमाची
  4. अर्जुन
  5. कासमर्द

औषधीय कर्म (Medicinal Actions)

लिव 52 में निम्नलिखित औषधीय गुण होते हैं:

  1. हेपेटो-प्रोटेक्टिव
  2. क्षुधावर्धक
  3. यकृत वृद्धिहर
  4. कामलाहर
  5. एंटी-वायरल
  6. प्रतिउपचायक – एंटी-ऑक्सीडेंट
  7. रोग प्रतिरोधक शक्ति वर्धक
  8. हेमाटिनिक (हीमोग्लोबिन का स्तर बढ़ाता है) – लिव 52 टेबलेट और लिव 52 डी एस टेबलेट में मंडूर भस्म होती है

चिकित्सकीय संकेत (Indications)

लिव 52 निम्नलिखित व्याधियों में लाभकारी है:

  • पीलिया
  • हेपेटाइटिस ए (संक्रामक हैपेटाइटिस)
  • हेपेटाइटिस बी
  • हेपेटाइटस सी
  • हेपेटाइटिस डी
  • हेपेटाइटिस ई
  • अल्कोहलिक हैपेटाइटिस
  • भूख की कमी
  • कमजोर पाचन शक्ति
  • फैटी लिवर

लिव 52 के लाभ और औषधीय उपयोग

लिव 52 एच बी को छोड़कर लिव 52 के सभी वेरिएंट के समान लाभ और उपयोग हैं। लिव 52 एच बी हेपेटाइटिस बी में अतिरिक्त लाभ देता है और यकृत में वायरल लोड को कम करने में मदद करता है। हालांकि, इसमें भी अन्य चिकित्सा गुण हैं जैसे क्षुधावर्धक, पाचक, यकृत उत्तेजक, एंटीऑक्सिडेंट और हेपेटोप्रोटेक्टिव आदि।

यकृत की सूजन

एलिवेटेड या अल्टर्ड लिवर प्रोफाइल (एलेनिन ट्रांसमिनास या ALT / SGPT और अस्पार्टेट ट्रांसमिनास या AST / SGOT) यकृत कोशिकाओं की हानि या यकृत की सूजन का संकेत हो सकता है। लिव 52 सूजन को कम करने में मदद करता है और कुछ रसायनों के स्राव को काम करता है, जो सूजन कोशिकाओं से बाहर रिस कर खून में मिल रहे होते हैं।

कई मामलों में, लीवर एंजाइम हलके या अस्थायी रूप से बढ़ जाते हैं। इन मामलों में, रोगी को इस के लिए उपचार की आवश्यकता नहीं होती क्योंकि वहां पर कोई भी गंभीर या जीर्ण यकृत की बीमारी नहीं होती है। लिव 52 का उपयोग यकृत को अधिक हानि पहुँचाने से रोकता है और यकृत में सूजन को कम करता है। इसलिए, ऐसे मामलों में लिव 52 का उपयोग करने की सलाह दी जा सकती है। आम तौर पर, लिव 52 की दो दो गोलियां दिन में दो बार या लिव 52 डी एस की एक एक गोली दिन में दो बार लगातार 2 महीने लेना यकृत के एन्ज़ाइम्स को नियमित करने के लिए पर्याप्त है।

पीलिया

हर प्रकार के यकृत विकारों में पीलिया की एक अनूठी विशेषता है। लिव 52 के सभी वेरिएंट बढे हुए सीरम बिलीरूबिन स्तर को कम करने और पीलिया के इलाज में अच्छी तरह से काम करते हैं। लिव 52 भी बढे हुए लीवर एंजाइम को कम कर देता है।

लिव 52 प्रतिरोधी पीलिया (पित्त नलिकाओं की रुकावट) में काम नहीं करता है। प्रतिरोधात्मक पीलिया के पित्त पथरी या ट्यूमर के कारण पित्त नलिकाओं की रुकावट सहित कई अन्य कारण हैं।

हेपेटाइटिस ए (संक्रामक हैपेटाइटिस)

हेपेटाइटिस ए वायरस हेपेटाइटिस ए (संक्रामक हैपेटाइटिस) का मूल कारण है। यह यकृत में सूजन का कारण बनता है और यकृत के कार्यों कम कर देता है।

भारत में हेपेटाइटिस ए के लिए उपयोग की जाने वाली लिव 52 सबसे आम औषधि है। आधुनिक के साथ ही आयुर्वेदिक चिकित्सक भी यकृत कार्यों में सुधार के लिए और तीव्र स्वास्थ्य लाभ के लिए इसकी सलाह देते हैं।

हालांकि, रोगी को हल्के हेपेटाइटिस ए संक्रमण के लिए उपचार की आवश्यकता नहीं है, लेकिन विषाक्तता और नुकसान कम करने के लिए लिव 52 लेना बेहतर होता है क्योंकि यकृत को हेपेटाइटिस ए वायरस की वजह से हुए नुकसान से खुद को स्वस्थ करने में छह महीने का समय लग जाता है।

इसके अलावा, लिव 52 मतली, उल्टी, पेट की परेशानी, और भूख की हानि के साथ निपटने में मदद करता है। यह बढ़े हुए सीरम बिलीरूबिन के स्तर को कम और लीवर एंजाइम को नियमित भी करता है।

हेपेटाइटिस बी

हेपेटाइटिस बी संक्रमण के रोगियों के लिए लिव 52 एचबी के साथ न्यूनतम छह महीने चिकित्सा की सिफारिश की जाती है। हेपेटाइटिस बी का मूल कारण हेपेटाइटिस बी वायरस (एचबीवी) है। लिव 52 एचबी का हेपेटाइटिस बी सतह प्रतिजन (HBsAg) पर असर पड़ता है। यह रिवर्स ट्रांसक्रिपटेस को रोकता है, जो हेपेटाइटिस बी वायरस  के समाशोधन में  मदद करता है। नैदानिक अध्ययन से निष्कर्ष निकाला है कि लिव 52 एचबी हेपेटाइटिस में वायरल को काफी कम कर देता है।

हिमालय की ओर से प्रस्तुत लिव 52 एचबी का लीवर एंजाइम और यकृत में ग्लाइकोजन स्तर पर भी प्रभाव होता है। यह यकृत में ग्लाइकोजन के स्तर को पुनर्स्थापित करता है और बढ़े हुए लीवर एंजाइम को सामान्य बनाने में मदद करता है।

अल्कोहलिक हैपेटाइटिस

शराब का सेवन यकृत में सूजन का कारण बनता है, जिसको अल्कोहलिक हैपेटाइटिस के रूप में कहा जाता है। लिव 52 सूजन को कम करता है और यकृत के कार्य में सुधार करता है। यह शराब के कारण उल्टी आने, वजन घटने और भूख न लगने में मदद करता है।

कमजोर पाचन शक्ति

लिव 52 में मौजूद सभी तत्वों में पाचन उत्तेजक क्रिया होती है और यह भूख को बढ़ाती है। यह शरीर में भूख और तृप्ति की बुनियादी लय को सही करती है। यह भूख को बढ़ावा देता है, बच्चों के विकास में सुधार, आंत्र आदतों में सुधार, गर्भावस्था में भूख की कमी में मदद करता है और शरीर का वजन भी बढ़ाता है।

हलकी कब्ज

लिव 52 वसा के पाचन में मदद करता है। कई बच्चों और वयस्कों को आंव निर्वहन और चिपचिपे मल के साथ हलके कब्ज की शिकायत होती है। इस तरह के मामलों में दोनों बच्चों और वयस्कों में हल्के कब्ज के प्रबंधन के लिए इसे और अधिक प्रभावी पाया गया है। वयस्कों की तुलना में बच्चों में परिणाम देखने लायक रहे हैं। लिव 52 ड्रॉप्स शिशुओं में आंत्र आदतों में सुधार में मदद करता है।

हेपटोटोक्सिसिटी

हेपटोटोक्सिसिटी के कई कारण हो सकते हैं जैसे रसायन, विकिरण, दवायें या कीमोथेरेपी। लिव 52 के सभी वेरिएंट हेपटोटोक्सिसिटी को कम करने में मदद करते हैं और इन के कारण शरीर में उत्पादित सभी विषाक्त पदार्थों से यकृत की रक्षा करते हैं।

फैटी लीवर

फैटी लीवर वो स्थिति होती है जिसमें यकृत में वसा का निर्माण 5 से 10 प्रतिशत तक बढ़ जाता है। नॉन-अल्कोहलिक फैटी लिवर डिजीज (NAFLD) फैटी लिवर का सबसे आम कारण है।

लिव 52 में वो तत्व होते हैं, जो यकृत में वसा कम कर देते हैं और यकृत के कार्यों को नियमित करते हैं। लिव 52 थेरेपी के साथ अधिक मात्रा में फल और सब्जियों खाने से फैटी लीवर रोग कम अवधि (1 से 3 महीने) के भीतर ठीक हो जाते हैं। सर्वोत्तम परिणामों के लिए, इसे इन्दुकांतम कषायं के साथ प्रयोग किया जा सकता है।

भूख में कमी

लिव 52 में उपस्थित घटक भूख बढ़ा सकते है और पाचन में सुधार कर सकते है। लगभग सभी घटकों में क्षुधावर्धक और पाचन क्रिया होती है जो भूख को व्यवस्थित करने के लिए मदद करती है। दूसरे, कमजोर भूख यकृत रोग का एक आम लक्षण है और कमजोर यकृत कार्य की ओर इंगित करता है। लिव 52 यकृत के स्वास्थ्य में सुधार करता हैं और पाचन तंत्र में पित्त के प्रवाह में सुधार करता हैं जो वसा के अणुओं के पाचन को बढ़ावा देते हैँ।

निष्क्रिय यकृत

निष्क्रिय यकृत का अर्थ है इष्टतम स्तर पर अपने कार्य करने के लिए यकृत की कम क्षमता। निम्नलिखित लक्षणों से संकेत मिलता है कि आपका यकृत निष्क्रिय है।

  • उदरीय सूजन
  • यकृत में अधिक बेचैनी
  • यकृत में दर्द
  • वसायुक्त खाद्य पदार्थों की असहिष्णुता
  • शरीर की गंध
  • सांसों की बदबू
  • लेपित जीभ
  • बहुत ज़्यादा पसीना आना
  • उच्च कोलेस्ट्रॉल और ट्राइग्लिसराइड्स
  • पैरों के तलवों में जलन
  • मल में बलगम का निर्वहन

लिव 52 में निष्क्रिय यकृत के इन सभी लक्षणों को कम करने की संभावना है।

मात्रा एवं सेवन विधि (Dosage)

लिव 52 की सामान्य औषधीय मात्रा  व खुराक इस प्रकार है:

लिव 52 टेबलेट की औषधीय मात्रा

बच्चे 1 गोली
वयस्क 2 गोली

लिव 52 DS टेबलेट की औषधीय मात्रा

बच्चे ½ गोली
वयस्क 1 गोली

लिव 52 सिरप की औषधीय मात्रा

बच्चे 5 मिलीग्राम
वयस्क 10 मिलीग्राम

लिव 52 DS सिरप की औषधीय मात्रा

बच्चे 2.5 मिलीग्राम
वयस्क 5 मिलीग्राम

सेवन विधि

दवा लेने का उचित समय (कब लें?) भोजन के पहिले लें या खाना खाने के 1 घंटे बाद लें
दिन में कितनी बार लें? 3 बार
अनुपान (किस के साथ लें?) गुनगुने पानी के साथ
उपचार की अवधि (कितने समय तक लें) चिकित्सक की सलाह लें

सूचना स्रोत (Original Article)

  1. Liv 52 Benefits, Uses, Dosage and Side Effects – AYURTIMES.COM

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