बिल्वादि गुलिका के घटक द्रव्य, प्रयोग एवं लाभ, मात्रा, दुष्प्रभाव

विल्वादि गुलिका (जिसे विल्वादि अगद, विल्वादि वटी, बिल्वादि गुटिका भी कहते हैं) विभिन्न घटकों से बनी एक आयुर्वेदिक औषधि है, जिसका उपयोग साँप काटने, बिच्छू के डंक, मकड़ी के काटने, चूहे के काटने, आंत्रशोथ, हैजा, अपच और बुखार के उपचार में किया जाता है। आम तौर पर, यह मानव शरीर में किसी भी अंतर्निहित कारण या पशु मूल के जहरीले पदार्थ के कारण विकसित विषाक्त प्रभावों के लिए एक पसंदीदा औषधि है।
घटक द्रव्य (Ingredients)
बिल्वादि गुलिका में निम्नलिखित घटक द्रव्यों है:
बिल्व (भारतीय बेल) Aegle Marmelos | एक भाग |
तुलसी पत्ती Ocimum Sanctum | एक भाग |
करंज फल – Pongamia Pinnata | एक भाग |
तगर – Valeriana Wallichii | एक भाग |
देवदारु – Cedrus Deodara | एक भाग |
हरीतकी या हरड़ – Terminalia Chebula | एक भाग |
बिभीतकी (बहेड़ा) – Terminalia Bellirica | एक भाग |
अमला (Amla – India Gooseberry) – Phyllanthus Emblica | एक भाग |
सोंठ (Ginger Rhizome) – Zingiber Officinale | एक भाग |
काली मिर्च (Black Pepper) – Piper Nigrum | एक भाग |
पिप्पली (Long Pepper) – Piper Longum | एक भाग |
हल्दी (Turmeric) – Curcuma Longa | एक भाग |
दारुहल्दी – Berberis Aristata | एक भाग |
बस्थामुत्र | आवश्यकतानुसार |
संदर्भ: अष्टांग हृदय, उत्तर स्थान, अध्याय 36, सर्प विष प्रतिषेध अध्याय, छंद: 84 – 85 |
निर्माण की विधि
- अच्छी तरह धुली हुई, सूखी और स्वच्छ सामग्री लें।
- प्रत्येक औषधि को अलग अलग पीसकर महीन चूर्ण बना लें।
- प्रत्येक जड़ी बूटियों का महीन चूर्ण चलनी के छान कर अलग कर लें।
- सभी घटकों को वजन के आधार पर मापें और उन्हें समान मात्रा में लेकर मिला दें।
- अब हर्बल मिश्रण को पत्थर की खरल में डालें और उसमें बस्थामुत्र मिला दें। कुछ घंटों तक इसको खरल करें और फिर इसकी गोलियां बना लें। (प्रत्येक 500 मिली ग्राम)
- अब गोलियों को सूखने दें और जब वे नमी से मुक्त हो जाए तो उन्हें कांच के पात्र या फ़ूड-ग्रेड प्लास्टिक के कंटेनरों में रखें।
औषधीय गुण
विल्वादि गुलिका में निम्नलिखित औषधीय गुण होते हैं।
- विषनाशक
- विषमारक
- सर्प विष नाशक
- दाहप्रशम
- आमपाचक
- हैजा नाशक
- ज्वरनाशक
- पाचन उत्तेजक
- कब्जहर
आयुर्वेदिक गुण
घटकों के आधार पर, विल्वादि गुलिका की बढ़े हुए या बिगड़े हुए वात दोष (VATA DOSHA) और कफ दोष (KAPHA DOSHA) के लक्षणों वाले व्यक्तियों के लिए अधिक उपयुक्त होने की संभावना है।
चिकित्सीय संकेत
विल्वादि गुलिका निम्नलिखित स्वास्थ्य की स्थितियों में लाभदायक है।
- सर्प दंश
- बिच्छू का डंक
- मकड़ी के काटने पर
- कृंतक (rodent) के काटने पर
- आंत्रशोथ
- हैजा
- अपच
- ज्वर
विल्वादि गुलिका लाभ और औषधीय उपयोग
विल्वादि गुलिका का उपयोग मुख्य रूप से उसके विष नाशक और विष मारक गुणों के लिए किया जाता है। यह सर्प विष सहित जानवरों के सभी प्रकार के विषों के विरुद्ध प्रभावी है।
सर्प दंश
आंतरिक उपयोग: विल्वादि गुलिका का चूर्ण बनायें और उसे शहद के साथ मिला दें। इसे 1000 मिली ग्राम (2 गोलियों के बराबर) की खुराक में सर्प दंश से पीड़ित रोगी को दें। गंभीर मामलों में हर 15 मिनट के बाद इसे दोहरायें और फिर हर 30 मिनट पर इसे देते रहें, जब तक की रोगी में जहर के लक्षण समाप्त ना हो जायें। इसके बाद, इसे एक सप्ताह तक, दिन में तीन बार दो गोलियों की खुराक में दें।
बाहरी उपयोग: सर्प के काटने के स्थान पर एक चीरा लगायें और उस स्थान को कसकर दबायें, जिससे की अशुद्ध रक्त बहकर बाहर आ जाए। फिर उस घाव को गर्म पानी से साफ़ करें। साफ़ करने के बाद, विल्वादि गुलिका को खरल में पीसकर महीन चूर्ण बना लें और गर्म पानी मिलाकर लेप बना लें। अब इस विल्वादि के लेप को घाव पर लगा दें और इसे कुछ मिनट के लिए छोड़ दें। इस क्रिया को दोहराते रहें, जब तक की पीड़ित व्यक्ति को विष के लक्षणों से आराम ना मिल जाए।
बिच्छू का डंक और अन्य
विल्वादि गुलिका का उपयोग बिच्छू के डंक के इलाज के लिए और अन्य कीड़े या जानवरों द्वारा काटने पर उसी तरह से किया जाता है जैसा की साँप काटने के रूप में वर्णित है।
कुल मिलाकर, विल्वादि गुलिका विष के प्रभाव को कम करता है और इसका ह्रदय, मस्तिष्क, और तंत्रिकाओं पर सुरक्षात्मक प्रभाव पड़ता है।
मात्रा एवं सेवन विधि (Dosage)
विल्वादि गुलिका की सामान्य खुराक इस प्रकार है:
बच्चे | 250 से 500 मिली ग्राम या 1/2 से 1 गोली |
वयस्क | 1000 मिली ग्राम या 2 गोलियां |
विल्वादि गुलिका कैसे लें
खुराक (मुझे कितनी बार लेना चाहिए?) | लागू नहीं है; विषाक्तता के मामले में, रोगी के स्थिर हो जाने तक या गंभीर लक्षणों से राहत मिलने तक खुराक को लगातार दोहराया जा सकता है। अन्य मामलों में, खुराक दिन में 2 से 3 बार हो सकती है। |
सही समय (मुझे कब लेना चाहिए?) | विषाक्तता के मामले में जब भी आवश्यकता हो; अन्यथा, भोजन के बाद। |
सह-औषध – अनुपान (किस के साथ लें?) | शहद, गर्म पानी |
सुरक्षा प्रोफाइल
विल्वादि गुलिका को यदि पेशेवर पर्यवेक्षण के तहत उपयुक्त खुराक में रोग के लक्षणों के अनुसार लिया जाता है, तो इसे अधिकतर व्यक्तियों के लिए सुरक्षित माना जाता है।
विल्वादि गुलिका के दुष्प्रभाव
आम तौर पर, विल्वादि गुलिका को यदि बुद्धिमानी से उपयोग किया जाए तो इसका कोई दुष्प्रभाव नहीं होता है। यदि रोगी की पित्त प्रकृति (Pitta Body Type) है या कोई ऐसी स्थिति है जिससे पित्त दोष (PITTA DOSHA) बढ़ता है, तो इसे ज्यादा मात्रा में लेने से या अज्ञानतावश लगातार औषधि दोहराने से निम्नलिखित दुष्प्रभाव उत्पन्न हो सकते हैं:
- सीने में जलन
- अम्ल प्रतिवाह
- पेट में जलन
इन दुष्प्रभावों को रोकने के लिए, इसका उपयोग प्रवाल पिष्टी (PRAVAL PISHTI), मुक्ता पिष्टी (MUKTA PISHTI), मुक्ता शुक्ति पिष्टी (MUKTA SHUKTA PISHTI) या इसी तरह की अन्य औषधियों के साथ भी किया जा सकता है।
गर्भावस्था और स्तनपान
गर्भवती महिलाओं और स्तनपान कराने वाली माताओं के लिए विल्वादि गुलिका की सुरक्षा प्रोफाइल उचित रूप से स्थापित नहीं है। गर्भावस्था में और स्तनपान कराते समय विल्वादि गुलिका का उपयोग करने से पहले किसी आयुर्वेदिक चिकित्सक से परामर्श करें।
संदर्भ
- Vilwadi Gulika – AYURTIMES.COM